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अयोध्या में एक मस्जिद का निर्माण अभी कुछ समय और लेगा। इसके पीछे की वजहों को हम आज आपको बताएंगे। जब सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मस्जिद के लिए जगह की घोषणा की, तब इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ने मस्जिद निर्माण के लिए एक कमेटी का गठन किया, जिसका प्रमुख अरफात शेख को बनाया गया। इस मस्जिद को अयोध्या में धन्नीपुर गांव में बनाया जा रहा है, जो कि श्री राम मंदिर से लगभग 25 किलोमीटर दूर है।
2019 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, 2020 में मस्जिद का शिलान्यास भी हुआ था। हालांकि, कुछ कारणों की वजह से मस्जिद का निर्माण अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। इन कारणों में शायद आवश्यक अनुमतियां, निर्माण संबंधित योजनाएं और अन्य तकनीकी मुद्दे शामिल हो सकते हैं। इस विलंब के पीछे के विस्तृत कारणों की जानकारी अभी आवश्यक है।
अयोध्या मस्जिद निर्माण में विलंब
अयोध्या में मस्जिद निर्माण में विलंब का मुख्य कारण इसके स्ट्रक्चर के रीडिजाइन से संबंधित है। इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के प्रवक्ता अतहर हुसैन के अनुसार, मस्जिद का नक्शा अयोध्या विकास प्राधिकरण द्वारा पास कर दिया गया था और मस्जिद डेवलपमेंट कमेटी भी बनाई गई थी, जिसके प्रमुख अरफात शेख हैं।
फंड जुटाने की प्रक्रिया में, मस्जिद के स्ट्रक्चर को लेकर विभिन्न जगहों से सुझाव आए कि मौजूदा डिजाइन पारंपरिक मस्जिद की छवि से मेल नहीं खाती, क्योंकि इसमें मीनारें और गुंबद नहीं हैं। इस सुझाव के आधार पर, मस्जिद के डिजाइन को फिर से रीस्ट्रक्चर किया जा रहा है। अगले डेढ़ से दो महीने में मस्जिद के नए डिजाइन का काम पूरा होने की संभावना है, जिसके बाद इसे अयोध्या विकास प्राधिकरण में पुनः पास कराने की प्रक्रिया की जाएगी। इसके बाद ही मस्जिद निर्माण की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।
अयोध्या में मस्जिद परिसर नई सुविधाओं का निर्माण
अयोध्या में प्रस्तावित मस्जिद परिसर में केवल मस्जिद ही नहीं, बल्कि कई अन्य महत्वपूर्ण सुविधाएं भी विकसित की जा रही हैं। इनमें सबसे प्रमुख है एक 500 बेड का विशेषज्ञ अस्पताल, जिसका पहला चरण 200 बेड का होगा और बाद में इसे 500 बेड तक विस्तारित किया जाएगा।
इसके अतिरिक्त, परिसर में एक भोजनालय भी होगा, जहां प्रारंभ में प्रतिदिन 2000 लोगों को निशुल्क भोजन प्रदान किया जाएगा, जिसे बाद में बढ़ाकर 5000 लोगों तक किया जाएगा।
इसके अलावा, इस परिसर में एक छोटा आर्काइव/म्यूजियम भी बनाया जाएगा, जो 1857 के संयुक्त हिन्दू-मुस्लिम संघर्ष की साझी विरासत को प्रदर्शित करेगा। इस म्यूजियम के माध्यम से हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल प्रस्तुत की जाएगी, जो अयोध्या की गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक है। इस पहल के जरिए अयोध्या, जहां मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम विराजमान हैं, वहां हिन्दू-मुस्लिम एकता की नई मिसाल स्थापित की जाएगी।
धन्नीपुर मस्जिद निर्माण नक्शा पास कराने की तैयारी और खर्च
अयोध्या के धन्नीपुर गांव में प्रस्तावित मस्जिद के निर्माण के लिए जरूरी नक्शे को विकास प्राधिकरण से पास कराने में लगभग 80 लाख रुपये का खर्च आएगा। इस मस्जिद की आधारशिला पहले ही रखी जा चुकी है, और अब इसके नक्शे को अनुमोदित कराने की प्रक्रिया जारी है।
इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (IICF) ट्रस्ट के अधिकारी इस राशि का इंतजाम करने में जुटे हुए हैं। अतहर हुसैन, मस्जिद ट्रस्ट के सचिव के अनुसार, विकास प्राधिकरण ने टैक्स का आकलन कर इस धनराशि की जमा करने की मौखिक सूचना दी है। यह धनराशि जल्द ही एडीए में जमा कर दी जाएगी, और सितंबर 2023 में मस्जिद का नक्शा अनुमोदित होने की पूर्ण उम्मीद है। नक्शा पास होने के बाद अक्टूबर में मस्जिद का निर्माण कार्य आरंभ हो सकता है।
अयोध्या मस्जिद सुप्रीम कोर्ट का निर्णय और योजना
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या के मंदिर-मस्जिद विवाद में अपने फैसले में सरकार को 5 एकड़ जमीन मस्जिद निर्माण के लिए देने का आदेश दिया था। इस आदेश के अनुसार, उत्तर प्रदेश सरकार ने सोहावल तहसील के धन्नीपुर गांव में यह 5 एकड़ जमीन सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड को आवंटित की।
सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (IICF) के माध्यम से मस्जिद का निर्माण कराने की योजना बनाई है। IICF ने इस 5 एकड़ जमीन पर एक सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, कम्युनिटी किचन, लाइब्रेरी और रिसर्च सेंटर जैसी सुविधाएं बनाने की योजना तैयार की है। मस्जिद ट्रस्ट ने इस पूरे प्रोजेक्ट का आर्किटेक्ट डिजाइन दो साल पहले ही अयोध्या विकास प्राधिकरण के पास अनुमोदन के लिए जमा कर दिया था।
धन्नीपुर मस्जिद प्रोजेक्ट खर्च और अनुमोदन प्रक्रिया
धन्नीपुर मस्जिद प्रोजेक्ट, जो अयोध्या में स्थित है, पर करीब 500 करोड़ रुपये का खर्च आने की संभावना है। प्रोजेक्ट के नक्शे को विकास प्राधिकरण से पास करवाने में कुछ आपत्तियां आईं, जिनमें से मुख्य रूप से फायर विभाग और राजस्व विभाग की आपत्तियां शामिल थीं।
राजस्व विभाग ने आवंटित भूखंड को ग्रीन लैंड के रूप में चिन्हित किया और इसे आवासीय उपयोग में बदलने के लिए आपत्तियां उठाई गईं। हालांकि, इन तकनीकी खामियों को दूर कर लिया गया है।
मस्जिद ट्रस्ट के सचिव, अतहर हुसैन के अनुसार, पूरे मस्जिद प्रोजेक्ट के नक्शे के अनुमोदन में लगभग 12 करोड़ रुपये का विकास और अन्य शुल्क का खर्च आएगा। वित्तीय समस्याओं के कारण ट्रस्ट अब पहले केवल मस्जिद के नक्शे को पास करवाने पर केंद्रित है, ताकि प्रोजेक्ट का पहला चरण यानी मस्जिद का निर्माण शुरू किया जा सके।
धन्नीपुर मस्जिद नया डिजाइन और बाबरी मस्जिद से अलग पहचान
अतहर हुसैन के अनुसार, धन्नीपुर में बनने वाली नई मस्जिद में बाबरी मस्जिद का कोई भी प्रतीक या चिह्न नहीं होगा। इस मस्जिद का डिजाइन पूरी तरह से आधुनिक वास्तुकला पर आधारित होगा और इसमें गुंबद भी नहीं होंगे। इसकी आर्किटेक्ट डिजाइन जामिया मिलिया इस्लामिया, दिल्ली के प्रोफेसर एस.एम. अख्तर द्वारा तैयार की गई है, जो एक प्रतिष्ठित आर्किटेक्ट हैं।
इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट के सचिव अतहर हुसैन ने यह भी बताया कि मस्जिद के भूखंड का परीक्षण हो चुका है और यह मस्जिद निर्माण के लिए उपयुक्त पाया गया है। 26 जनवरी, 2021 को मस्जिद की आधारशिला रखी गई थी और अब नक्शे के अनुमोदन के बाद निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के लिए मुस्लिम और हिंदू समुदाय के लोगों ने वित्तीय सहायता का आश्वासन दिया है।
FAQ
1. Q: धन्नीपुर मस्जिद का निर्माण कहां हो रहा है?
A: धन्नीपुर मस्जिद अयोध्या के सोहावल तहसील में बन रही है।
2. Q: धन्नीपुर मस्जिद परियोजना का खर्च कितना है?
A: इस परियोजना पर करीब 500 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
3. Q: धन्नीपुर मस्जिद परियोजना में क्या-क्या बनाया जाएगा?
A: मस्जिद के साथ सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, कम्युनिटी किचन, लाइब्रेरी, और रिसर्च सेंटर बनेंगे।
4. Q: धन्नीपुर मस्जिद की आधारशिला कब रखी गई थी?
A: धन्नीपुर मस्जिद की आधारशिला 26 जनवरी, 2021 को रखी गई थी।
5. Q: धन्नीपुर मस्जिद के नक्शे को कौन तैयार कर रहा है?
A: इसका आर्किटेक्ट डिजाइन जामिया मिलिया इस्लामिया के प्रोफेसर एस.एम. अख्तर ने तैयार किया है।
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