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राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए भेजे गए चावलों का उपयोग कैसे करें? इस अवसर पर हर घर को आमंत्रण भेजा जा रहा है, आइए पंडितजी से इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
अयोध्या के प्रतिष्ठित श्रीराम मंदिर का निर्माण कार्य, जो वर्षों से रुका हुआ था, अब तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस कार्य में प्रगति इतनी हुई है कि 22 जनवरी 2024 को रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा समारोह होगा। इस दिन को उत्सव के रूप में मनाने की तैयारियां भी जोरों पर हैं। इस महत्वपूर्ण अवसर पर भारत और दुनिया भर से लोग अयोध्या की यात्रा कर रहे हैं। इस विशेष दिन का हिस्सा बनने के लिए लोगों को आमंत्रित करना भी शुरू हो गया है, जिसमें गांव-गांव, घर-घर जाकर विशेष तरीके से निमंत्रण भेजे जा रहे हैं। रामभक्त घर-घर जाकर अक्षत (चावल) देकर लोगों को न्योता दे रहे हैं। इस बीच, कई लोगों को यह जिज्ञासा है कि इस समारोह से आए चावलों का क्या किया जाए। इसकी विस्तार से जानकारी सोरों, कासगंज के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डॉ. गौरव दीक्षित द्वारा दी जा रही है।
भारतीय संस्कृति में अक्षत का महत्व
परंपरागत भारतीय रीति में, प्राचीन समय से ही उत्सवों या समारोहों के निमंत्रण के लिए अक्षत का प्रयोग किया जाता रहा है। अक्षत, यानी चावल, को निमंत्रण का एक प्रतीक माना जाता था। इस प्रथा में हल्दी से रंगे गए पीले चावलों को विशेष रूप से उपयोग किया जाता था। हिंदू धर्म में अक्षत को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, और यह धार्मिक अनुष्ठानों, पूजा-पाठ में एक अनिवार्य तत्व होता है।
श्रीराम मंदिर के अक्षत का सदुपयोग –
1. तिजोरी में अक्षत रखें –
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, चावल शुक्र ग्रह का प्रतीक है, जिससे धन और वैभव की प्राप्ति होती है। ज्योतिषाचार्य डॉ. गौरव दीक्षित के अनुसार, चावलों को लाल रेशमी कपड़े में बाँधकर तिजोरी में रखने से मंगल और चंद्र ग्रह सक्रिय होते हैं और लक्ष्मी योग का निर्माण होता है, जिससे घर में खुशियाँ और समृद्धि आती है।
2. खीर के रूप में अक्षत का प्रसाद –
राम मंदिर से प्राप्त चावलों का विशेष महत्व है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इन चावलों का उपयोग करके खीर बनाई जा सकती है, जिसे रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के दिन प्रसाद के रूप में परिवार के सदस्यों के साथ ग्रहण करना चाहिए और अन्य लोगों में भी बाँटना चाहिए। इससे घर में समृद्धि और सकारात्मकता बनी रहती है।
3. तिलक के रूप में चावलों का प्रयोग –
ज्योतिषाचार्य डॉ. गौरव दीक्षित के अनुसार, रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से प्राप्त चावलों का बड़ा महत्व है। ये चावल शुभता का प्रतीक हैं। इन्हें मस्तक पर तिलक के रूप में लगाने से न केवल शुभता आती है, बल्कि यह माना जाता है कि इससे शुभ कार्यों में सफलता मिलती है।
4. रसोई में चावलों का इस्तेमाल –
अगर आपको रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए निमंत्रण में अक्षत प्राप्त हुआ है, तो इसे रसोई में प्रयोग करना भी एक उत्तम विचार है। विशेषकर, नवविवाहित महिलाएं अपनी पहली रसोई में इन चावलों का उपयोग कर सकती हैं। यह प्रथा घर में समृद्धि और सौहार्द लाने के लिए मानी जाती है।
5.अक्षत से कन्या दान: एक धार्मिक परंपरा –
ज्योतिष विज्ञान के अनुसार, अक्षत, यानी चावल, धार्मिक रस्मों में बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इसलिए, ये चावल पूजा और अन्य धार्मिक क्रियाओं में इस्तेमाल किए जाते हैं। खासतौर पर, जिन परिवारों में जल्द ही कन्या का विवाह होने वाला है, वहां बेटियों के पिता राम मंदिर से आए इन शुभ चावलों का प्रयोग कन्या दान की रस्म में कर सकते हैं। मान्यता है कि इससे बेटी के नए घर में समृद्धि और आशीर्वाद की वृद्धि होती है।
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FAQ
1. अक्षत क्या हैं?
A- “अक्षत चावल होते हैं जो हिंदू धार्मिक अनुष्ठानों में शुभता का प्रतीक हैं।”
2. अक्षत का धार्मिक महत्व क्या है?
A- “अक्षत का उपयोग हिंदू धर्म में पूजा-पाठ और शुभ कार्यों में होता है।”
3. कन्या दान में अक्षत का क्या महत्व है?
A- “कन्या दान में अक्षत का प्रयोग समृद्धि और आशीर्वाद के लिए किया जाता है।”
4. अक्षत का उपयोग पूजा में कैसे करें?
A- “पूजा में अक्षत को देवता के समक्ष अर्पित करके या तिलक के रूप में उपयोग किया जाता है।”
5. राम मंदिर से आए अक्षत का क्या करें?
A- “राम मंदिर से आए अक्षत को पूजा में या कन्या दान में प्रयोग किया जा सकता है।”