कौन हैं मुन्ना कुरैशी, Uttarkashi Tunnel Rescue के असली हीरो

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400 घंटे से अधिक का समय बिताने के बाद, उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सिल्क्यारा टनल में फंसे मजदूरों को अंत में बचाव अभियान द्वारा बाहर निकाला गया है। यह घटना देश के अब तक का सबसे बड़ा बचाव अभियान माना जा रहा है। इस कार्य में केंद्र और राज्य सरकार की कई एजेंसियों के साथ-साथ विदेशी विशेषज्ञ भी शामिल थे। जब ऑगर मशीन ने टनल के आखिरी हिस्से तक पहुंचने से पहले जवाब दिया, तो लगा कि कई दिनों की मेहनत का सफलता होने की उम्मीद है। लेकिन सोमवार को जब रैट माइनर्स को 12 मीटर का मलबा हटाने के लिए बुलाया गया, तो उन्होंने अद्वितीय काम किया। 17 दिनों तक फंसे मजदूरों को खुदाई से बाहर निकालने का बड़ा सफलता मिला।

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कौन हैं मुन्ना कुरैशी

29 साल के मुन्ना कुरैशी एक ट्रेंचलेस इंजीनियरिंग कंपनी में काम करते हैं, जो की दिल्ली में है। यह कंपनी सीवर और पानी की लाइनों की सफाई करती है। कुरैशी इस कंपनी की रैट माइनिंग टीम का हिस्सा हैं। उन्होंने मीडिया को बताया, ‘मैंने टनल के आखिरी हिस्से का काम किया, और वहां फंसे लोग मुझे देखकर खुश हो गए। उन्होंने मुझे गले लगा लिया और खाने के लिए बादाम दिए। हम पिछले 24 घंटे से काम कर रहे थे। उन्होंने मुझे जिंदगी भर नहीं भूलने वाली इज्जत दी। इस मुश्किल ऑपरेशन में शामिल सभी लोगों को तारीफ मिल रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके जज्बे को सराहा है।

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बैन तकनीक बनी जीवन की राहत

एक और रैट माइनर फिरोज नामक व्यक्ति ने कहा कि जब हम टनल के अंदर पहुंचे, तो हमारे आंसू निकल गए। हम सभी बहुत खुश थे। मैंने फंसे लोगों को गले लगाया और उनका आभार जताया। एक और रैट माइनर ने बताया कि हम टनल के अंदर पहुंचते ही हमने रो पड़े। हम बहुत खुश थे, मैंने फंसे लोगों को गले से लगाया और उनका आभार जताया। एक और रैट माइनर ने बताया कि हम कुछ मीटर की दूरी पर थे और हम टनल में फंसे लोगों की आवाजें सुन सकते थे। हमने उन्हें बताया कि हम उनके सबसे पास हैं। जैसे ही हम पहुंचे, हमने उनको बताया कि वे सुरक्षित हैं। आधे घंटे बाद, एनडीआरएफ की टीम भी टनल के अंदर पहुंच गई।

इस मिशन में मुन्ना और फिरोज के अलावा, रैट माइनर मोनू कुमार, वकील खान, परसादी लोधी और विपिन राजौत भी शामिल थे। उन्होंने सोमवार को शाम के करीब सात बजे मलबा हटाने का काम शुरू किया और 24 घंटे से कम समय में इस काम को पूरा किया। रैट होल माइनिंग छोटी सी टनल में कोयला निकालने की प्रक्रिया होती है, लेकिन 2014 में इस प्रक्रिया को बैन कर दिया गया था। तात्पर्य यह है कि यह तकनीक सिल्क्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों के लिए नए जीवन का रास्ता खोल दिया।

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मुन्ना कुरैशी कहते हैं, “मैं बता नहीं सकता कितनी खुशी हुई, हम पिछले 24 घंटे से काम कर रहे थे, जब हम वहां पहुंचे तो हमें देख कर लोग झूम उठे, उन्होंने हमें धन्यवाद कहा और मुझे जो इज्जत दी वह मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकता हूं। फिरोज नामक दूसरे रैट माइनर ने कहा कि जब हम टनल के अंदर पहुंचे, तो हम रो पड़े। सभी खुश थे, मैंने फंसे लोगों को गले से लगाया और उनका धन्यवाद जताया। एक और रैट माइनर ने बताया कि हम कुछ मीटर की दूरी पर थे और हम टनल में फंसे लोगों की आवाजें सुन सकते थे। हमने उनको बताया कि हम उनके सबसे पास हैं। जैसे ही हम पहुंचे, हमने उनको बताया कि वे सुरक्षित हैं। आधे घंटे बाद, एनडीआरएफ की टीम भी टनल के अंदर पहुंच गई।”

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