गोपाल भार्गव प्रोटेम स्पीकर [प्रोटेम स्पीकर क्या होता है, प्रोटेम स्पीकर के कार्य, प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति, प्रोटेम स्पीकर का मतलब, प्रोटेम स्पीकर कौन है 2023] Gopal Bhargava Protem Speaker [protem speaker kya hota hai, protem speaker ki niyukati kaise hoti hia, protem speaker meaning, lok sabha]
मध्य प्रदेश की 16वीं विधानसभा के चुनाव के बाद, बीजेपी ने प्रोटेम स्पीकर के पद के लिए गोपाल भार्गव को चुना है, जिन्होंने यह पद संभालने की जिम्मेदारी स्वीकार की हैं। प्रोटेम स्पीकर की भूमिका महत्वपूर्ण होती है, लेकिन इसके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी होती है। इस लेख में, हम आपको प्रोटेम स्पीकर की भूमिका, उनके कार्यक्षेत्र, और उनके योगदान के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे।
गोपाल भार्गव बने प्रोटेम स्पीकर [Gopal Bhargava Protem Speaker]
मध्य प्रदेश में 16वीं विधानसभा के चुनाव के बाद, बीजेपी ने सबसे सीनियर विधायक गोपाल भार्गव को प्रोटेम स्पीकर बनाया है। गोपाल भार्गव को यह जिम्मेदारी मिली है क्योंकि वह विधायकों के बीच सबसे सीनियर हैं और उनके पास संसदीय कार्यप्रणालियों का अच्छा अनुभव है। उन्होंने सागर जिले की रहली विधानसभा सीट से लगातार 9वीं बार विधानसभा का चुनाव जीता है और 1985 में पहली बार विधायक बने थे।
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उन्होंने विभिन्न मंत्रालयों में मंत्री के रूप में काम किया है और 15 महीने की कमलनाथ सरकार के दौरान नेता प्रतिपक्ष की भी जिम्मेदारी संभाली है। गोपाल भार्गव का चयन प्रोटेम स्पीकर के पद के लिए उनके अच्छे कार्यकाल और अनुभव के माध्यम से किया गया है, और वह अपनी जिम्मेदारियों का पालन करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
इस प्रकार, प्रोटेम स्पीकर का महत्वपूर्ण कार्यक्षेत्र होता है, और यह उन्हें संविधान के माध्यम से नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाने और विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चयन करवाने की जिम्मेदारी सौंपता है। गोपाल भार्गव का चयन उनके अच्छे कार्यकाल और नेतृत्व के कारण किया गया है, और वह इस जिम्मेदारी का पूरी तरह से निर्वहन करने के लिए तैयार हैं।
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प्रोटेम स्पीकर का कार्यक्षेत्र [Work Area of Protem Speaker]
प्रोटेम स्पीकर विधानसभा या लोकसभा के पहले सत्र के दौरान कार्यरत होते हैं। उनकी मुख्य जिम्मेदारी होती है नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाने की। इसके लिए वह राज्यपाल द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। शपथ दिलाने के दौरान, सभी सदस्य वचन प्रतिज्ञा करते हैं कि वे संविधान का पालन करेंगे और अपने कर्तव्यों को निष्पक्षता से निभाएंगे।
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अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव
प्रोटेम स्पीकर का एक और महत्वपूर्ण कार्य होता है विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव कराना। जब भी नयी विधानसभा का गठन होता है, तो प्रोटेम स्पीकर विधानसभा के पहले सत्र के दौरान अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव करवाते हैं। यह चयन उनके अधीन होता है, और जैसे ही यह चयन होता है, वह प्रोटेम स्पीकर की जिम्मेदारी से मुक्त हो जाते हैं। अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चयन सदस्यों के बीच मतदान से होता है और जिसका चयन अधिकांश की आम बहुमत से होता है।
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प्रोटेम स्पीकर क्या होता है? [What is Protem Speaker]
प्रोटेम स्पीकर का शब्द “प्रो टैम्पोर” से आया है, जिसका अर्थ होता है ‘कुछ समय के लिए’। प्रोटेम स्पीकर वह व्यक्ति होता है जो कुछ समय के लिए राज्यसभा और विधानसभा में स्पीकर के पद पर कार्य करता है, जब नए स्पीकर का चुनाव होता है। यह पद अस्थायी होता है और प्रमुख सचिव विधानसभा के नेतृत्व में इसका संचालन किया जाता है।
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प्रोटेम स्पीकर के कार्य [Protem Speaker Work]
- नए सदस्यों को शपथ दिलाना: प्रोटेम स्पीकर का प्रमुख कार्य नए सदस्यों को विधानसभा या लोकसभा में शपथ दिलाना होता है। यह नए सदस्यों के पारिणामिक सदस्य बनने का पहला कदम होता है।
- स्पीकर का चुनाव कराना: प्रोटेम स्पीकर का और एक महत्वपूर्ण कार्य होता है, वह यह है कि वह सदन के स्थायी स्पीकर का चुनाव कराता है। जब तक स्थायी स्पीकर चुने जाने तक, प्रोटेम स्पीकर सदन की कार्यवाही का संचालन करते हैं।
- फ्लोर टेस्ट करने का काम: प्रोटेम स्पीकर को सदन में कानून निर्माण के दौरान सदन की गतिविधियों का निगरानी करने का कार्य भी सौंपा जाता है, जिसमें वह सदन के आदर्श और नियमों का पालन सुनिश्चित करते हैं।
- सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाना: प्रोटेम स्पीकर का दायित्व होता है कि वह सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाएं और सदन के सदस्यों के बीच अनुशासन बनाए रखें।
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प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति [Appointment of Protem Speaker]
प्रोटेम स्पीकर का पद विधायकों के वरिष्ठ सदस्यों में से एक को चुनकर नियुक्त किया जाता है। यह प्रोटेम स्पीकर वह व्यक्ति होता है जो विधानसभा या लोकसभा में कई बार चुनाव जीत चुका हो। उनकी नियुक्ति तब तक के लिए होती है, जब तक स्थायी स्पीकर का चुनाव नहीं होता है। प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति गवर्नर या राज्यपाल करते हैं, और इसका मुख्य उद्देश्य नए सदस्यों को शपथ दिलाना होता है और सदन की नियमित कार्यवाही का संचालन करना होता है।
इस प्रकार, प्रोटेम स्पीकर एक महत्वपूर्ण और संविधानिक पद होता है, जो नए सदस्यों को परिचय कराता है और सदन की संचालन में मदद करता है। यह पद अस्थायी होता है, लेकिन उसका महत्व बहुत अधिक होता है, क्योंकि यह सदन की संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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FAQ
1. प्रोटेम स्पीकर क्या होता है?
Ans- प्रोटेम स्पीकर विधानसभा या लोकसभा के पहले सत्र के दौरान कार्यरत होते हैं। उनकी मुख्य जिम्मेदारी होती है नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाने की।
2. प्रोटेम स्पीकर का चयन कैसे होता है?
Ans- प्रोटेम स्पीकर का चयन संसदीय कार्यप्रणालियों के माध्यम से होता है। सदन की सभी सदस्यों के बीच मतदान के आधार पर प्रोटेम स्पीकर चुना जाता है।
3. प्रोटेम स्पीकर की जिम्मेदारियाँ क्या होती हैं?
Ans- प्रोटेम स्पीकर की मुख्य जिम्मेदारी होती है नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाने की, और उन्हें वचन प्रतिज्ञा करवाने की। उन्हें अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव करवाने की भी जिम्मेदारी होती है।
4. प्रोटेम स्पीकर की भूमिका क्यों महत्वपूर्ण होती है?
Ans- प्रोटेम स्पीकर की भूमिका महत्वपूर्ण होती है क्योंकि वे सदस्यों को नवनिर्वाचित सदस्यों की शपथ दिलाने और सदन के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चयन करवाने के लिए जिम्मेदार होते हैं।
5. प्रोटेम स्पीकर किस तरह से चयनित होते हैं?
Ans- प्रोटेम स्पीकर का चयन सदस्यों के बीच मतदान से होता है, और जिसका चयन अधिकांश की आम बहुमत से होता है।
6. प्रोटेम स्पीकर के चयन का मुख्य कारण क्या होता है?
Ans- प्रोटेम स्पीकर का चयन उनके अच्छे कार्यकाल और नेतृत्व के कारण किया जाता है, ताकि वे अपनी जिम्मेदारियों का पूरी तरह से निर्वहन कर सकें।
7. प्रोटेम स्पीकर कितने दिनों के लिए कार्यरत होते हैं?
Ans- प्रोटेम स्पीकर कम से कम एक दो दिनों तक कार्यरत होते हैं, जिसमें सबसे पहले नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाने का काम किया जाता है।
8. प्रोटेम स्पीकर का क्या अहम कार्य होता है?
Ans- प्रोटेम स्पीकर का सबसे अहम कार्य होता है नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाना और अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चयन कराना। यह उनकी मुख्य जिम्मेदारियों में से होती है।
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