Premanand Ji Maharaj Latest News- कौन है प्रेमानंद जी महाराज,क्या है असली नाम, कैसे बनें संन्यासी (Age)

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भारतीय संतों और महात्माओं के जीवन से हमें वह अमूल्य धरोहर मिलती है, जो हमारे समाज को आदर्श दिखाती हैं। इसी धारणा के साथ, हम आपको एक ऐसे महान संत, प्रेमानंद महाराज, के जीवन के बारे में जानकारी देंगे, जिन्होंने अपने सात्विक और विवेकपूर्ण परिवार में जन्म लिया और भारतीय समाज को अपने आदर्शों से प्रेरित किया।

Premanand Ji Maharaj Latest News- कौन है प्रेमानंद जी महाराज,क्या है असली नाम, कैसे बनें संन्यासी (Age)
Premanand Ji Maharaj Latest News- कौन है प्रेमानंद जी महाराज,क्या है असली नाम, कैसे बनें संन्यासी (Age)

Table of Contents

Premanand Maharaj Biography in Hindi (प्रेमानंद जी महाराज जीवनी)

असली नाम [Real Name]अनिरुद्ध कुमार पाण्डेय
अन्य नाम [Other Name]प्रेमानंद जी महाराज
जन्म [Birth]ज्ञात नहीं
उम्र [Age]60 वर्ष (लगभग)
जन्म स्थान [Birth Place]कानपुर, उत्तर प्रदेश
गृहनगर [Home Town]कानपुर, उत्तर प्रदेश
पिता [Father]श्री शंभु पाण्डेय
माता [Mother]श्रीमती रमा देवी
गुरु जी का नाम [Guru Name]श्री गौरंगी शरण जी महाराज
वैवाहिक स्थिति [Marriage Status]अविवाहित
जाति [Caste]ब्राह्मण
धर्म [Religion]हिंदू
राष्ट्रीयता [Nationality]भारतीय

प्रेमानंद महाराज का जन्म (Premanand Maharaj Birth)

प्रेमानंद महाराज का जन्म एक सात्विक और विवेकपूर्ण परिवार में हुआ था। उनका जन्म कानपुर, उत्तर प्रदेश के एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका बचपन का नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे रखा गया था।। इन्हें पीले बाबा के नाम से भी जाना जाता है।

प्रेमानंद महाराज का परिवार (Premanand Maharaj Family Information)

प्रेमानंद महाराज जी की माता का नाम श्रीमती रामा देवी और पिता का नाम श्री शंभु पाण्डेय था. प्रेमानंद महाराज के परिवार का वातावरण अत्यंत शुद्ध, निर्मल और भक्तिपूर्ण था, और इसका मुख्य कारण था उनके दादा, जो सन्यासी थे। उनके घर पर संतों और महात्माओं का आना जाना लगा रहता था, क्योंकि उनका पूरा परिवार संत होने की वजह से धार्मिक और आध्यात्मिक मूल्यों का पालन करता था।

इस भक्तिपूर्ण माहौल में प्रेमानंद महाराज ने अपने बचपन से ही ध्यान और भक्ति का मार्ग चुना। उन्होंने बचपन से ही मंदिर जाना, कीर्तन करना, और चालीसा का पाठ करना आरंभ किया। उनका जीवन भक्ति और आध्यात्मिकता से भरा हुआ है, और वे वृंदावन वाले के अद्भुत भक्त थे। प्रेमानन्द महाराज के बड़े भाई ने श्रीमद्भागवतम् का आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त किया था जिसको पूरा परिवार एक साथ बैठ कर सुनते थे।

प्रेमानंद महाराज की शिक्षा (Premanand Maharaj Education)

प्रेमानंद महाराज ने कम उम्र से ही धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना शुरू किया था। उन्होंने चालीसा का पाठ अपने बचपन में ही आरंभ किया था। उनके बड़े भाई ने भी श्रीमद्भागवतम् के श्लोक पढ़कर परिवार को धार्मिक मार्ग पर चलाया था।

जब प्रेमानंद महाराज 5 वीं कक्षा में थे, तब उन्होंने गीता और श्री सुखसागर के पाठ की शुरुआत की थी। स्कूल में पढ़ते समय उनके मन में अनेक सवाल उठते थे, और उन्होंने इन सवालों के उत्तर खोजने के लिए भगवान श्री राम और श्री कृष्ण के नाम का जाप किया।

प्रेमानंद महाराज के बचपन में ही उन्होंने ईश्वर की खोज करने का निश्चय किया था। जब वे 9 वीं कक्षा में पहुंचे, तब उन्होंने आध्यात्मिक जीवन जीने का मन बना लिया था। उनके लिए यह दिन महत्वपूर्ण था, क्योंकि वे सब कुछ त्यागने के लिए तैयार थे। उन्होंने अपनी माँ को अपने निर्णय के बारे में बताया और उन्होंने अपने घर को छोड़ दिया।

प्रेमानंद महाराज का जीवन साक्षारता का सफर है, जिसमें उन्होंने आध्यात्मिकता की ओर बढ़ने का संकल्प लिया। उनकी कड़ी मेहनत, आध्यात्मिक ज्ञान की खोज, और सद्गुरु के मार्गदर्शन ने उन्हें एक महान संत बनाया और उनके जीवन को हम सभी के लिए प्रेरणास्पद बनाया।

महाराज का ब्रह्मचारी जीवन (Premanand Maharaj Brahmachari Jeevan)

प्रेमानंद महाराज ने अपने घर को छोड़ने के बाद आध्यात्मिक जीवन की ओर कदम बढ़ाया। उन्होंने नैष्ठिक ब्रह्मचर्य में दीक्षा ली, जिससे उन्होंने संयम और आध्यात्मिक अध्ययन में अपनी साधना को मजबूत किया। उनका नाम बदलकर “आनंद स्वरूप ब्रह्मचारी” रखा गया, जो उनकी नैष्ठिक ब्रह्मचर्य जीवन को सूचित करता है।

कठिन तपस्या

प्रेमानंद महाराज ने ईश्वर की प्राप्ति के लिए अत्यंत कठिन तपस्या की और अपने जीवन को उनके चरणों में समर्पित करने का निश्चय किया। उन्होंने ठान ली कि वह भगवान की भक्ति में ही अपना सम्पूर्ण जीवन व्यतीत करेंगे। इसके बाद से उनका पूरा जीवन भगवान की प्रेम और भक्ति में समर्पित हो गया।

तपस्या का उदाहरण

प्रेमानंद महाराज ने अपनी तपस्या के दौरान भोजन प्राप्त करने के लिए भिक्षा मांगने का आलंब रखा और कई दिनों तक उपवास किया। उन्होंने हमेशा भगवान की लीला में रत रहकर अपने आध्यात्मिक उन्नति के लिए संयम और साधना की। प्रेमानंद जी ने शारीरिक चेतना को पार करके मोह-माया को छोड़ दिया और पूर्ण त्याग का जीवन व्यतीत किया।

गंगा नदी के किनारे

सन्यासी के रूप में, प्रेमानंद महाराज का अधिकांश समय गंगा नदी के किनारे बिताते थे। महाराज ने कभी भी आश्रम के पदानुक्रमित जीवन को स्वीकार नहीं किया, और उन्होंने सब कुछ त्याग दिया। वे खाना, मौसम, और कपड़े की परवाह किए बिना ही वाराणसी और हरिद्वार नदी के घाटों पर घूमते रहते थे। उनकी दिनचर्या कभी नहीं बदलती थी, चाहे कितनी भी ठंड हो, वे हमेशा गंगा नदी में 3 बार स्नान करते थे और उपवास लेने के लिए भोजन को त्याग दिया था।

भगवान का आशीर्वाद

प्रेमानंद महाराज के जीवन के एक महत्वपूर्ण पल के बाद, उन्हें भगवान शिव का आशीर्वाद मिला। इसके बाद, वे भगवान की प्रेम और भक्ति में और भी अधिक समर्पित हो गए और उन्होंने अपने आध्यात्मिक साधना को और भी गहरा बनाया।

वृंदावन में आगमन

महाराज जी के दया और ज्ञान पर प्रभु शिव का पूरा आशीर्वाद था। एक दिन, वे बनारस में ध्यान कर रहे थे, तभी उन्हें वृंदावन की महिमा की ओर आकर्षण महसूस हुआ। उन्होंने वृंदावन की भक्ति में अपने आप को खो दिया और वह वृंदावन की लीला में भाग लिया। उन्होंने करीब एक महीने तक रास लीला में भाग लिया और उनका जीवन इस अनुभव से पूरी तरह से बदल गया।

प्रेमानंद जी महाराज वृन्दावन वाले

कुछ समय के बाद, स्वामी जी की सलाह और श्री नारायण दास भक्त माली के एक शिष्य की मदद से, महाराज जी ने मथुरा जाने का निर्णय लिया। उन्हें श्री वृन्दावन वाले बाबा प्रेमानंद कहा जाने लगा। जब महाराज जी वृन्दावन पहुँचे, तो उन्हें वहाँ किसी को नहीं जानते थे, लेकिन वृन्दावन ने हमेशा के लिए उनका दिल चुरा लिया।

महाराज जी के दिन का आरंभ वृन्दावन की परिक्रमा और श्री बांकेबिहारी के दर्शन के साथ होता था। वे पूरे दिन राधावल्लव जी को देखते रहते थे।

एक दिन, वृन्दावन के पुजारी ने महाराज जी को एक श्लोक सुनाया, लेकिन उन्हें उसके अर्थ को समझने में कठिनाइयाँ आई। तब गोस्वामी जी ने उन्हें श्री हरि वंश जी का जाप करने का सुझाव दिया। महाराज जी इस नए आध्यात्मिक अभ्यास के लिए हिचकिचाएं, क्योंकि उन्होंने इसे पहले कभी नहीं किया था।

उनके दूसरे दिन के वृन्दावन यात्रा में, वे खुद को श्री हरि वंश महा प्रभु के नाम का जाप करते हुए पाये गए। इस तरह से, वे श्री हरि वंश की लीला में मग्न हो गए।

वृन्दावन में एक आध्यात्मिक संगठन है, जिसकी स्थापना प्रेमानंद महाराज जी ने की। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य वृन्दावन में विभिन्न धार्मिक कार्यों को करना और लोगों को प्रेम और शांति का संदेश देना है। उन्होंने लोगों के मन और हृदय को खुशी और शांति प्राप्त करने के लिए प्रभु के ध्यान, योग, और अन्य आध्यात्मिक अभ्यासों की सलाह देने का कार्य किया। महाराज जी ये सभी सेवाएं निशुल्क प्रदान करते थे।

प्रेमानंद जी महाराज आश्रम पता (Premanand Maharaj Contact Details)

प्रेमानंद जी महाराज के आश्रम का पता दिया गया है जो वृंदावन में स्थित है। आप वृंदावन के वाराह घाट क्षेत्र में श्री हित राधा केली कुंज नामक स्थान पर उनके आश्रम का पता प्राप्त कर सकते हैं। यह आश्रम भक्ति वेदांत धर्मशाला के सामने स्थित है, और यह उत्तर प्रदेश के वृंदावन शहर में है। आप वहां पहुंचकर प्रेमानंद जी महाराज से दर्शन कर सकते हैं।

यदि आपको और अधिक जानकारी चाहिए, तो आप वृंदावन के स्थानीय लोगों से सहायता ले सकते हैं या महाराज जी के आश्रम के संचालकों से संपर्क करने की कोशिश कर सकते हैं।

कृपया ध्यान दें कि आपको प्रेमानंद जी महाराज के आश्रम के संचालकों से संपर्क करने से पहले उनके समय और आगमन की पूरी जानकारी प्राप्त करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि आश्रम के विशिष्ट समय और नियम हो सकते हैं।

प्रेमानंद जी महाराज क्यों चर्चा में हैं? (Premanand Maharaj Latest News)

अभी कुछ समय से प्रेमानंद जी महाराज का नाम काफी चर्चा मेन आया इसकी एक मुख्य कारण यह है कि क्रिकेट के प्रसिद्ध खिलाड़ी विराट कोहली और उनकी पत्नी अनुष्का शर्मा, जो कि बॉलीवुड अभिनेत्री भी हैं, ने हाल ही में प्रेमानंद जी महाराज के आश्रम में दर्शन किए और सत्संग सुना। इसके बाद, कोहली का क्रिकेट प्रदर्शन बेहतर हुआ। इसे लोगो ने महाराज के दर्शन से जोड़कर देखा

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FAQ –

1,प्रेमानंद जी महाराज के गुरु कौन है?

उत्तर: प्रेमानंद जी महाराज जी के गुरु का नाम श्री गौरंगी शरण जी महाराज है।

2, प्रेमानन्द जी महाराज का जन्म स्थान क्या है?

उत्तर: प्रेमानन्द जी महाराज का जन्म स्थान कानपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था।

3, उनके पिता का नाम क्या है?

उत्तर: प्रेमानन्द जी महाराज के पिता का नाम श्री शंभु पाण्डेय है।

4, प्रेमानन्द जी महाराज का वैवाहिक स्थिति क्या है?

उत्तर: प्रेमानन्द जी महाराज अविवाहित हैं।

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