Munawwar Rana Death- कौन थे मुनव्वर राना [Latest News, Age]

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प्रसिद्ध शायर मुनव्वर राणा का रविवार को देहांत हो गया। सूचना के अनुसार, 71 वर्ष की आयु में उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली। लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में उनका पिछले कुछ समय से उपचार चल रहा था। मुनव्वर राणा को साहित्य अकादमी पुरस्कार भी प्रदान किया गया था। हालांकि, सरकार से असंतोष जाहिर करते हुए उन्होंने अपना पुरस्कार लौटाने की घोषणा की थी। मुनव्वर राणा काफी समय से बीमार चल रहे थे। उन्हें गले का कैंसर था।

Munawwar Rana Death- कौन थे मुनव्वर राना [Latest News, Age]
Munawwar Rana Death- कौन थे मुनव्वर राना [Latest News, Age]

मुनव्वर राना जीवनी [Munawwar Rana Biography in Hindi]

मुनव्वर राणाएक प्रसिद्ध भारतीय उर्दू और हिंदी कवि हैं, जो अपने दोहे और शायरी के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं। उनका जन्म 26 नवंबर 1952 को रायबरेली, उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ था। राणाकी कविताएँ मां, प्रेम, धर्मनिरपेक्षता और शांति पर केंद्रित होती हैं। उन्हें उर्दू अदब में उनके योगदान के लिए कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया है।

विषयजानकारी
पूरा नाममुनव्वर राना
जन्म26 नवंबर 1952, रायबरेली, उत्तर प्रदेश, भारत
निधन14 जनवरी 2024
प्रसिद्ध काव्य संग्रह‘मुहाजिरनामा’, ‘माँ’
भाषाउर्दू, हिंदी, अवधी
प्रमुख विषयमां, प्रेम, धर्मनिरपेक्षता, शांति
सम्मान और पुरस्कारसाहित्य अकादमी पुरस्कार, माटी रतन सम्मान, अमीर खुसरो पुरस्कार, मीर तकी मीर पुरस्कार, गालिब पुरस्कार, डॉ. जाकिर हुसैन पुरस्कार, सरस्वती समाज पुरस्कार
विशेष उल्लेखउन्होंने असहिष्णुता के मुद्दे पर साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा दिया था।
जीवन और करियरमुनव्वर राणाका अधिकांश जीवन कोलकाता में बीता। उन्होंने भारत और विदेशों में मुशायरों में उपस्थिति दर्ज कराई।

जानिए कौन थे मुनव्वर राणा

 मुनव्वर राना, जो कि एक प्रसिद्ध उर्दू और हिंदी शायर थे, का 14 जनवरी को निधन हो गया। वे 71 वर्ष के थे और उन्हें लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SGPGIMS) में भर्ती कराया गया था। मुनव्वर राणाका जन्म 26 नवंबर 1952 को उत्तर प्रदेश के रायबरेली में हुआ था। उनकी कविताएं, खासकर उनकी ‘मां’ पर लिखी गजलें, व्यापक रूप से प्रशंसित हुईं। उन्होंने अपनी रचनाओं में हिंदी और अवधी भाषाओं का भी इस्तेमाल किया, जिसे भारतीय श्रोताओं ने काफी पसंद किया। मुनव्वर राणाको साहित्य अकादमी पुरस्कार सहित कई प्रतिष्ठित सम्मान मिले थे, जिसे उन्होंने बाद में असहिष्णुता के मुद्दे पर लौटा दिया था। उनकी रचनाओं का कई भाषाओं में अनुवाद किया गया था और उन्होंने भारत और विदेशों में कई मुशायरों में उपस्थिति दर्ज कराई थी। उनकी बेटी सुमैया समाजवादी पार्टी की सदस्य हैं उनके निधन की खबर से उर्दू साहित्य जगत में शोक की लहर छा गई है​

मुनव्वर राणाकी शायरी में जीवन के रोजमर्रा के अनुभवों और भावनाओं का सुंदर और सरल वर्णन होता है। उनकी रचनाओं में सामाजिक मुद्दों और सांस्कृतिक पहलुओं पर भी गहराई से चर्चा की गई है। मुनव्वर राणाकी कविता उर्दू साहित्य में एक अनूठी जगह रखती है और वह हिंदी और उर्दू भाषी समुदायों में बहुत प्रिय हैं।

मुनव्वर राणा का निधन – मुनव्वर राना का निधन 14 जनवरी 2024 को हुआ। उनका निधन दिल के दौरे के कारण हुआ था। वे लंबे समय से किडनी फेलियर बीमारी से जूझ रहे थे और उन्हें लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SGPGIMS) में भर्ती कराया गया था।उन्हें निमोनिया भी था और उन्हें आखिरी समय में ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया था। उनके निधन से उर्दू और हिंदी साहित्य जगत में शोक की लहर छा गई थी।

मुनव्वर राणाकी प्रसिध्द रचनाएँ

मुनव्वर राणाकी प्रसिद्ध रचनाओं में उनकी गजलें और कविताएँ शामिल हैं, जिनमें से सबसे प्रमुख है ‘मां’, जो उनकी गजल शैली में मां के गुणों का वर्णन करती है। उनकी शैली में हिंदी और अवधी भाषाओं का इस्तेमाल होता था, जो भारतीय श्रोताओं के बीच लोकप्रिय थी। उनके अधिकांश शेर (कपलेट्स) में माँ के प्रति उनके प्रेम को केंद्रीय स्थान दिया गया है। उनकी उर्दू गजलों का अनुवाद अंग्रेजी में तपन कुमार प्रधान द्वारा किया गया है। उन्हें उनकी रचना ‘शहदाबा’ के लिए 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनकी सबसे लोकप्रिय कृतियों में ‘मुहाजिरनामा’, ‘माँ’ जैसी रचनाएँ शामिल हैं, जो उनकी शायरी के संग्रह हैं। मुनव्वर राणाकी कविताएं न केवल उनकी गहरी सोच और जीवन दर्शन को प्रकट करती हैं, बल्कि समाज के प्रति उनके संवेदनशील नजरिए को भी दर्शाती हैं।

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