कौन हैं डॉ. अनिल मिश्रा, जो राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान के मुख्य यजमान बने

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अयोध्या में भव्य राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान के लिए डॉ. अनिल मिश्रा और उनकी पत्नी उषा मिश्रा को मुख्य यजमान के रूप में चुना गया है। इस आयोजन में 22 जनवरी 2024 को रामलला की मूर्ति की प्रतिष्ठा होगी, जिसका नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे।

कौन हैं डॉ. अनिल मिश्रा, जो राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान के मुख्य यजमान बने
कौन हैं डॉ. अनिल मिश्रा, जो राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान के मुख्य यजमान बने

Table of Contents

कौन है डॉ. अनिल मिश्रा [Who is Dr. Anil Mishra]

डॉ. अनिल मिश्रा एक प्रतिष्ठित व्यक्तित्व हैं, जिन्होंने अयोध्या के राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान में मुख्य यजमान की भूमिका निभाई है। उनका चयन इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम के लिए किया गया है, जो उनकी धार्मिक और सामाजिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान का महत्व [pran pratishtha Ceremony Importance]

प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह अनुष्ठान देवताओं को मंदिर में स्थापित करने और उन्हें प्राण देने की प्रक्रिया है। अयोध्या के राम मंदिर में इस अनुष्ठान का आयोजन एक ऐतिहासिक क्षण है।यह अनुष्ठान 16 जनवरी से शुरू होकर 22 जनवरी तक चलेगा। इस दौरान विभिन्न विधियाँ और पूजा-पाठ की जाएगी, जिसे डॉ. अनिल मिश्रा और उनकी पत्नी उषा मिश्रा द्वारा संचालित किया जाएगा।

प्राण-प्रतिष्ठा का समापन और भविष्य के प्रभाव

22 जनवरी को प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान का समापन होगा, जिसमें रामलला की मूर्ति गर्भगृह में स्थापित की जाएगी। यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व का है बल्कि यह भारतीय संस्कृति और धर्म की प्राचीन परंपराओं को भी पुनर्जीवित करता है।डॉ. अनिल मिश्रा का इस अनुष्ठान में मुख्य यजमान के रूप में चयन उनकी धार्मिक भक्ति और समर्पण को दर्शाता है। राम मंदिर का यह अनुष्ठान न केवल अयोध्या बल्कि पूरे भारत के लिए एक महत्वपूर्ण और यादगार घटना है।

डॉ. अनिल मिश्रा का राम मंदिर आंदोलन में योगदान [Ram Mandir Movement Contribution]

डॉ. अनिल मिश्रा, जिन्होंने राम मंदिर आंदोलन में एक प्रमुख सक्रिय भूमिका निभाई, वर्तमान में राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य हैं। उनकी इस भूमिका का महत्व और योगदान अत्यधिक प्रशंसनीय है।

डॉ. मिश्रा का प्रारंभिक जीवन और पेशेवर करियर [Dr. Anil Mishra Career]

उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर जिले में जन्मे डॉ. मिश्रा ने लगभग चार दशकों से अयोध्या में अपना होम्योपैथिक क्लिनिक संचालित कर रहे हैं। 1981 में, उन्होंने होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी में अपनी डिग्री प्राप्त की थी।उत्तर प्रदेश होम्योपैथिक बोर्ड के रजिस्ट्रार के रूप में तथा गोंडा जिले के होम्योपैथिक अधिकारी के पद पर कार्य करने के बाद, डॉ. मिश्रा अब प्राइवेट प्रैक्टिस में सक्रिय हैं।अनिल मिश्रा का राम मंदिर आंदोलन में उनका अमूल्य योगदान और उनकी पेशेवर उपलब्धियां उन्हें एक अनुकरणीय व्यक्तित्व बनाती हैं। उनके कार्यों ने उन्हें न केवलअयोध्या बल्कि पूरे भारत में एक सम्मानित और प्रशंसित स्थान दिलाया है।

डॉ. अनिल मिश्रा और उनका आरएसएस के साथ गहरा संबंध [Dr. Anil Mishra RRS]

डॉ. मिश्रा का आरएसएस से जुड़ाव – डॉ. अनिल मिश्रा का आरएसएस के प्रति दीर्घकालिक समर्पणहैं।डॉ. अनिल मिश्रा लंबे समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के साथ गहराई से जुड़े हुए हैं। उन्होंने संघ के सक्रिय सदस्य के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं।

आपातकाल के दौरान विरोध

आपातकाल के समय में, डॉ. मिश्रा ने आरएसएस के सदस्य के रूप में इसके खिलाफ सक्रिय रूप से विरोध किया। उनका यह कदम उनकी साहसिकता और सिद्धांतों के प्रति उनकी दृढ़ता को दर्शाता है।

राम मंदिर आंदोलन में भागीदारी

आपातकाल के बाद, डॉ. मिश्रा ने राम मंदिर आंदोलन में भी सक्रिय रूप से भागीदारी की। उनका यह योगदान आंदोलन के लिए उनकी प्रतिबद्धता और समर्थन को दर्शाता है।डॉ. अनिल मिश्रा का आरएसएस के साथ यह दीर्घकालिक संबंध उनके व्यक्तित्व और उनकी विचारधारा के प्रति उनके समर्पण को प्रकट करता है। उनकी यह भूमिका न केवल आंदोलनों में बल्कि समाज में भी उनके प्रभावशाली योगदान को स्थापित करती है।

डॉ. अनिल मिश्रा और उनकी पत्नी उषा मिश्रा द्वारा अनुष्ठानों का विधिवत संपन्न

अनुष्ठानों की शुरुआत

16 जनवरी, मंगलवार को डॉ. अनिल मिश्रा ने अपनी पत्नी उषा मिश्रा के साथ मिलकर यजमान के रूप में सभी अनुष्ठानों की शुरुआत की। इसकी शुरुआत उन्होंने सरयू नदी में डुबकी लगाकर की।इसके बाद, उन्होंने और उनकी पत्नी ने पंचगव्य (गाय का दूध, दही, घी, गोबर, गौमूत्र) का सेवन किया और व्रत आरंभ किया। इसके साथ ही प्रश्चिता, संकल्प और कर्मकुटी पूजा की गई।कलश पूजन और भगवान रामलला की मूर्ति का भ्रमणबुधवार को उन्होंने कलश पूजन किया। इसी दिन भगवान रामलला की मूर्ति को मंदिर परिसर में भ्रमण कराया गया।तीसरे दिन, डॉ. अनिल मिश्रा ने गर्भगृह में उस स्थान की पूजा की, जहां रामलला की मूर्ति स्थापित की जाएगी। इस प्रक्रिया के बाद मूर्ति का अधिवास किया जाएगा। इस तरह, डॉ. अनिल मिश्रा और उनकी पत्नी ने साथ मिलकर इन सभी अनुष्ठानों को विधिवत और श्रद्धापूर्वक संपन्न किया, जो उनकी भक्ति और समर्पण को दर्शाता है।

राम मंदिर में 121 पुजारियों द्वारा अनुष्ठान का आयोजन

22 जनवरी को, रामलला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए काशी के विद्वानों द्वारा एक अत्यंत शुभ मुहूर्त निर्धारित किया गया है।इस शुभ मुहूर्त पर रामलला की मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित करने से पहले, 121 पुजारी एक सप्ताह तक चलने वाले विशेष अनुष्ठान कर रहे हैं।इस पूरे अनुष्ठान का नेतृत्व वैदिक विद्वान गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ कर रहे हैं। उनके मार्गदर्शन में यह अनुष्ठान संपन्न हो रहा है।इस ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के अनुष्ठान को 121 पुजारियों द्वारा सम्पन्न किया जा रहा है, जिससे राम मंदिर की पवित्रता और भक्ति का भाव और भी गहरा होता है। इस अनुष्ठान का समापन रामलला की मूर्ति की प्रतिष्ठा के साथ होगा।

FAQ

1. प्रश्न: राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए मुख्य यजमान कौन हैं?

   उत्तर: राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए मुख्य यजमान डॉ. अनिल मिश्रा हैं।

2. प्रश्न: डॉ. अनिल मिश्रा किस आंदोलन से जुड़े हैं?

   उत्तर: डॉ. अनिल मिश्रा राम मंदिर आंदोलन से जुड़े हुए हैं।

3. प्रश्न: राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान कब से शुरू हुआ?

   उत्तर: राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान 16 जनवरी से शुरू हुआ।

4. प्रश्न: प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान में कितने पुजारी भाग ले रहे हैं?

   उत्तर: प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान में 121 पुजारी भाग ले रहे हैं।

5. प्रश्न: राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान का नेतृत्व कौन कर रहा है?

   उत्तर: राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान का नेतृत्व वैदिक विद्वान गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ कर रहे हैं।

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