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मंगलवार को केंद्रीय सरकार ने बिहार के पूर्व नेता, कर्पूरी ठाकुर के लिए भारत रत्न पुरस्कार की घोषणा की, जिन्हें बिहार में ‘जननायक’ के रूप में सम्मानित किया जाता है। यह घोषणा उनकी 100वीं जयंती के एक दिन पहले की गई थी।
बिहार के जन-नायक और पूर्व मुख्यमंत्री, कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न सम्मान दिए जाने का निर्णय किया गया है। कर्पूरी ठाकुर, जिन्होंने दो बार बिहार के मुख्यमंत्री का पद संभाला, उनकी पहचान एक स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक और प्रतिष्ठित राजनीतिज्ञ के रूप में रही है। वह बिहार के दूसरे उपमुख्यमंत्री भी रहे थे। उनकी लोकप्रियता के कारण, उन्हें जनता के बीच ‘जन-नायक’ के रूप में ख्याति प्राप्त थी। उनके जीवन और कार्यों का सम्मान करते हुए, देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से नवाजा जा रहा है।
कर्पूरी ठाकुर जीवन परिचय [Karpoori Thakur Biography in Hindi]
विशेषता | कर्पूरी ठाकुर के बारे में जानकारी |
पूरा नाम | कर्पूरी ठाकुर |
जन्म तिथि और स्थान | 24 जनवरी 1924, पितौंझिया, समस्तीपुर, बिहार |
मृत्यु तिथि | 17 फरवरी 1988 |
राजनीतिक दल | जनता पार्टी, समाजवादी विचारधारा |
मुख्यमंत्री कार्यकाल | 1970 और 1977 के बीच दो बार बिहार के मुख्यमंत्री |
विधायक कार्यकाल | 1952 से आजीवन किसी न किसी सदन के सदस्य रहे |
पेशा | स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक, राजनीतिज्ञ |
सामाजिक कार्य | सामाजिक न्याय, पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग के हित में कार्य |
लोकप्रियता | ‘जननायक’ के नाम से प्रसिद्ध, बिहार की राजनीति में गहरा प्रभाव |
भारत रत्न | भारत रत्न से सम्मानित किए जाने की घोषणा |
राजनीतिक विरासत | लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार उनके शिष्य माने जाते हैं। |
व्यक्तिगत जीवन और विचारधारा | अत्यंत सादगी भरा जीवन, कांग्रेस विरोधी राजनीति, परिवारवाद के विरोधी, ईमानदारी और सज्जनता में विश्वास |
Karpoori Thakur Birth
कर्पूरी ठाकुर का जन्म 1924 में बिहार के समस्तीपुर में नाई समाज में हुआ था, और वे सामाजिक भेदभाव व असमानता के खिलाफ संघर्ष करते रहे। उनके प्रयासों से शिक्षा, रोजगार और किसान कल्याण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए।
कर्पूरी ठाकुर बिहार के सामाजिक न्याय के प्रतीक
कर्पूरी ठाकुर, जिन्हें बिहार के सियासी इतिहास में सामाजिक न्याय के पुरोधा के रूप में जाना जाता है, एक साधारण नाई परिवार में जन्मे थे। उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा में कांग्रेस के विरोध में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई। आपातकाल के दौरान भी उन्हें गिरफ्तार करने की सभी कोशिशें विफल रहीं।
बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में कर्पूरी ठाकुर [Kapoori Thakur Bihar CM]
कर्पूरी ठाकुर ने 1970 में पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री का पद संभाला। उनका पहला कार्यकाल 163 दिनों का था। 1977 की जनता लहर में, जब जनता पार्टी को विजयी हुई, तब भी उन्होंने दोबारा मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाला, लेकिन इस बार भी उनका कार्यकाल पूरा नहीं हो पाया।
कर्पूरी ठाकुर बिहार की पहली गैर-कांग्रेसी सरकार के मुख्यमंत्री थे और उन्होंने दिसंबर 1970 से जून 1971 तक और फिर जून 1977 से अप्रैल 1979 तक यह पद संभाला। उन्होंने गरीबों और पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की। उन्होंने सोशलिस्ट पार्टी और भारतीय क्रांति दल की सरकार में और बाद में जनता पार्टी की सरकार में मुख्यमंत्री का पद संभाला।
कर्पूरी ठाकुर की समाज सेवा और नीतियां
अपने कार्यकाल में, कर्पूरी ठाकुर ने गरीबों, पिछड़ों और अति पिछड़ों के हितों के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने बिहार में मैट्रिक तक की शिक्षा को मुफ्त किया और राज्य के सभी विभागों में हिंदी में काम को अनिवार्य बनाया। इन कदमों से बिहार की राजनीति में गहरा परिवर्तन आया और कर्पूरी ठाकुर समाजवादी विचारधारा के एक प्रमुख नेता के रूप में उभरे।
इससे पहले जेडीयू नेता केसी त्यागी ने ठाकुर को भारत रत्न देने और उनके नाम पर एक विश्वविद्यालय खोलने की मांग की थी।
कर्पूरी ठाकुर के शिष्य और उनकी विरासत
बिहार के समाजवादी राजनीतिक परिदृश्य में लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार, कर्पूरी ठाकुर के राजनीतिक शिष्य के रूप में उभरे। जनता पार्टी के समय में इन दोनों ने कर्पूरी ठाकुर के संरक्षण में राजनीति की बारीकियां सीखीं। लालू यादव ने बिहार की सत्ता संभालने के बाद कर्पूरी ठाकुर के कार्यों को आगे बढ़ाया, जबकि नीतीश कुमार ने अति पिछड़े समुदायों के हितों में महत्वपूर्ण कदम उठाए।
बिहार की राजनीति में एक अहम पहचान
1988 में कर्पूरी ठाकुर के निधन के बावजूद, वे आज भी बिहार के पिछड़े और अति पिछड़े समुदायों के बीच गहरी लोकप्रियता का आधार रखते हैं। बिहार में पिछड़ों और अतिपिछड़ों की कुल जनसंख्या लगभग 52 प्रतिशत है, जिसके कारण विभिन्न राजनीतिक दल उनके नाम का इस्तेमाल करते हैं। 2020 में, कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में ‘कर्पूरी ठाकुर सुविधा केंद्र’ खोलने की घोषणा की थी, जो उनकी विरासत की महत्ता को दर्शाता है।
Kapoori Thakur Biography Video
कर्पूरी ठाकुर बिहार के ‘जननायक’ और उनका राजनीतिक सफर [Political Career]
बिहार के ‘जननायक’ के रूप में प्रसिद्ध, कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी 1924 को समस्तीपुर जिले के पितौंझिया गांव में एक नाई समाज के परिवार में हुआ था। 1952 में पहली बार विधायक चुने जाने के बाद, वह लगातार विभिन्न सदनों के सदस्य बने रहे। 1970 और 1979 के बीच उन्होंने दो बार बिहार के मुख्यमंत्री का पद संभाला और बाद में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे।
कर्पूरी ठाकुर अपने सादगीपूर्ण जीवन शैली के लिए प्रसिद्ध थे। उनके पास न तो अपना घर था, ना ही वाहन, और ना ही वे अपनी पैतृक जमीन के मालिक थे। उनकी राजनीतिक ईमानदारी, सज्जनता और लोकप्रियता ने उन्हें जननायक का दर्जा दिलाया था। 17 फरवरी 1988 को 64 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।
कर्पूरी ठाकुर ने आजीवन कांग्रेस के विरुद्ध राजनीति की और आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी द्वारा उन्हें गिरफ्तार करने की सभी कोशिशें विफल रहीं। वे पिछड़े समाज के व्यक्ति को सर्वोच्च पद पर देखना चाहते थे और राजनीति में परिवारवाद के प्रबल विरोधी थे। जीवनभर उन्होंने अपने परिवार के किसी सदस्य को राजनीति में नहीं आने दिया।
प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश की कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न पर प्रतिक्रिया [Karpoori Thakur Bharat Ratna]
भारत रत्न, जो कि देश का सर्वोच्च सम्मान है, के लिए कर्पूरी ठाकुर का चयन होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें सामाजिक न्याय का अग्रदूत करार दिया है। प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि कर्पूरी ठाकुर को यह सम्मान उनके असाधारण योगदान के लिए दिया जा रहा है, साथ ही यह हमें न्यायपूर्ण समाज की ओर कार्य करने की प्रेरणा भी देता है।
FAQ
1. Q: कर्पूरी ठाकुर का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
A: कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी 1924 को बिहार के समस्तीपुर जिले में हुआ था।
2. Q: कर्पूरी ठाकुर ने किस वर्ष में पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री का पद संभाला था?
A: कर्पूरी ठाकुर ने पहली बार 1970 में बिहार के मुख्यमंत्री का पद संभाला था।
3. Q: कर्पूरी ठाकुर को किस उपनाम से जाना जाता है?
A: उन्हें ‘जननायक’ के उपनाम से जाना जाता है।
4. Q: कर्पूरी ठाकुर का निधन कब हुआ था?
A: कर्पूरी ठाकुर का निधन 17 फरवरी 1988 को हुआ था।
5. Q: कर्पूरी ठाकुर को किस सम्मान से नवाजा जाएगा?
A: कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न सम्मान से नवाजा जाएगा।