Guntur Kaaram Review in Hindi (release date, where to watch, plot, 2024 trailer, cast, director, ott, download, story, teaser, Netflix, mahesh babu ilm, budget, release date in india, trailer, actor, rating, box office collection, review in hindi, twitter review, one man show ) गुंटूर कारम in hindi (रिलीज डेट, ट्रेलर, डाउनलोड, टीजर, डायरेक्टर, बजट, महेश बाबू)
तेलुगू सिनेमा के सुपरस्टार महेश बाबू के प्रशंसकों का इंतजार बीते साल से चल रहा था, क्योंकि उनकी अंतरराष्ट्रीय प्रसिद्ध फिल्म ‘सरकारु वारी पाटा’ के बाद, उन्होंने एक बड़ी फिल्म के लिए लंबा वक्त बिताया था। नए साल में उनकी फिल्म ‘गुंटूर कारम’ सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है, लेकिन दर्शकों का उत्साह फिल्म की रिलीज के बाद के बाद दिखाई नहीं दे रहा है। जबकि साल 2022 में महेश बाबू की तेलुगू फिल्म ‘सरकारु वारी पाटा’ रिलीज हुई थी, लेकिन उनकी फिल्म ‘गुंटूर कारम’ की रिलीज के पश्चात् दर्शकों में उत्साह कम दिख रहा है।
Guntur Kaaram Review in Hindi
विशेषता | विवरण |
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फिल्म का नाम | गुंटूर कारम |
कलाकार | महेश बाबू, श्रीलीला, मीनाक्षी चौधरी, जगपति बाबू, राम्या कृष्णन, प्रकाश राज, जयराम, सुनील, मुरली शर्मा, और अन्य |
लेखक | त्रिविक्रम श्रीनिवास |
निर्देशक | त्रिविक्रम श्रीनिवास |
निर्माता | एस. राधा कृष्ण |
रिलीज तिथि | 12 जनवरी 2024 |
रेटिंग | 2/5 |
फिल्म ‘गुंटूर कारम’ की कहानी एक फ्लैशबैक से शुरू होती है। वीरा वेंकट रमन के पिता सत्यम को एक हत्या के आरोप में जेल हो जाती है और उसकी मां वसुंधरा उसे छोड़कर हैदराबाद आ जाती है। वीरा वेंकट रमन अपना बचपन पैतृक गांव में बीताता है और वह बड़ा होकर मिर्च के कारोबार में शामिल हो जाता है। इसके बाद हैदराबाद आने पर वसुंधरा अपने पिता वेंकट स्वामी की सलाह पर राजनीति में प्रवेश करती है और कानून मंत्री बन जाती है। सत्यम अपनी सजा काट चुका है, जेल से बाहर आने के बाद वह किसी से भी मिलना पसंद नहीं करता। वसुंधरा का परिवार एक समझौते पर वीरा वेंकट रमन के हस्ताक्षर चाहता है, जिससे उसकी मां के साथ सभी संबंध खत्म हो जाते हैं। इस कदम का उद्देश्य उनसे कानूनी उत्तराधिकारी का दर्जा छीनना है, जिससे वसुंधरा की दूसरी शादी से हुए बेटे को राजनीतिक विरासत में मिल सके।
फिल्म के निर्देशक त्रिविक्रम श्रीनिवास ने ही फिल्म की कहानी भी लिखी है, लेकिन फिल्म की कमजोर कथा और पटकथा ने पूरा खेल बिगाड़ दिया। मां बेटे के बीच जो भावनात्मक दृश्य होने चाहिए वह निखर कर नहीं आए। जिसकी वजह से दर्शकों का इस फिल्म से भावनात्मक तौर पर जुड़ाव नहीं हो पाया। फिल्म देखने के बाद ऐसा लगता है कि महेश बाबू को खुश करने के चक्कर में त्रिविक्रम श्रीनिवास ने कहानी का पूरा फोकस उनके ही किरदार पर रखा, यह सबसे बड़ी निर्देशक की भूल नजर आती है। फिल्म की कहानी जैसे -जैसे आगे बढ़ती है, अपना असर खोने लगती है। साउथ की फिल्मों की खासियत यही होती है कि एक्शन दृश्यों पर खूब मेहनत करते हैं, अगर फिल्म की कथा और पटकथा पर भी उतनी ही मेहनत की गई होती तो यह एक बेहतर फिल्म बन सकती थी।
इस फिल्म में महेश बाबू ने वीरा वेंकट रमन की भूमिका निभाई है। फिल्म में उनका एक्शन अवतार तो ठीक है क्योंकि उसमें बॉडी डबल से काम चल जाता है, लेकिन जहां अभिनय की बात आती है, वहां महेश बाबू हर सीन में फेल हैं। फिल्म में उनकी जुगलबंदी भी उभर कर नहीं आती है। श्रीलीला के साथ भी उनकी केमिस्ट्री फिल्म ‘गुंटूर कारम’ में दिखाई नहीं देती है। श्रीलीला के लिए इस फिल्म में करने के लिए कुछ खास नहीं रहा। वीरा वेंकट रमन के पिता सत्यम की भूमिका में जयराम, वेंकट स्वामी की भूमिका में प्रकाश राज, मार्क्स की भूमिका में जगपति बाबू, श्रीलीला के पिता पनी की भूमिका में मुरली शर्मा, मार्क्स के भाई लेनिन की भूमिका में सुनील का परफॉर्मेंस प्रभावशाली रहा है। इन दिग्गज सितारों से और भी बेहतर काम निकला जा सकता था, लेकिन फिल्म के लेखक-निर्देशक त्रिविक्रम श्रीनिवास की यहां भी बहुत बड़ी चूक नजर आती है। मनोज परमहंस की सिनेमैटोग्राफी संतोषजनक है। फिल्म के एडिटर नवीन नूली के पास अनावश्यक दृश्यों पर कैंची चलाने की पूरी आजादी थी, लेकिन इस मामले में वह भी चूक गए। थमन एस का संगीत शोर शराबे से भरा पड़ा है।
इस तरह, ‘गुंटूर कारम’ फिल्म ने अपने पहले दिन ही दर्शकों के उत्साह को खत्म कर दिया खत्म कर दिया है।
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FAQ-
1, किसने फिल्म “Guntur Kaaram” की कहानी लिखी और निर्देशन किया?
फिल्म “Guntur Kaaram” की कहानी और निर्देशन दोनों त्रिविक्रम श्रीनिवास द्वारा किया गया है।
2, फिल्म Guntur Kaaram” की कथा और पटकथा में क्या कमजोरियाँ थी?
रिव्यू के अनुसार, फिल्म की कथा और पटकथा में कमजोरियाँ थीं और दर्शकों का भावनात्मक जुड़ाव नहीं बना पाया।
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