Dr. Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi [Death Anniversary, Jayanti] डॉ. भीमराव अंबेडकर जीवनी [पुण्यतिथि, जयंती]

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डॉ. भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि 2023 (जीवन और कार्य, प्रारंभिक जीवन,बौद्ध धर्म को अपनाना, जीवन से जुड़ी खास बातें , मृत्यु , परिवार) Dr. Bhimrao Ambedkar’s death anniversary in 2023(Life and Work, Early Life, Adopting Buddhism, Special Facts Related to Dr. B.R. Ambedkar’s Life, Death, Family Information, jayanti)

भारतीय समाज के उन विशेष व्यक्तियों में से एक थे डॉ. भीमराव अंबेडकर, जिन्होंने अपने जीवन को उनके आदर्शों और मूल्यों के साथ समर्पित किया। उनकी पुण्यतिथि 6 दिसंबर को मनाई जाती है, और इसी दिन को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में भी जाना जाता है। इस मौके पर, हम जानेंगे कि डॉ. भीमराव अंबेडकर ने क्यों बौद्ध धर्म का अपनाया और उनके जीवन और विचारों के साथ इस पुण्यतिथि और महापरिनिर्वाण दिवस का क्या महत्व है।

Dr. Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi [Death Anniversary, Jayanti] डॉ. भीमराव अंबेडकर जीवनी [पुण्यतिथि, जयंती]
Dr. Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi [Death Anniversary, Jayanti] डॉ. भीमराव अंबेडकर जीवनी [पुण्यतिथि, जयंती]

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Table of Contents

बाबा साहब अंबेडकर का जीवन परिचय Baba Saheb Ambedkar Biography in Hindi

विशेषताजानकारी
जन्म14 अप्रैल 1891
जन्मस्थलमहू, मध्य प्रांत, ब्रिटिश भारत
मृत्यु6 दिसम्बर 1956 (उम्र 65)
मृत्यु स्थलडॉ॰ आंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक, नयी दिल्ली
समाधि स्थलचैत्य भूमि, मुंबई, महाराष्ट्र
जन्म का नामभिवा, भीम, भीमराव
अन्य नामबाबासाहब आंबेडकर
राष्ट्रीयताभारतीय
जीवन संगी• रमाबाई आंबेडकर
• डॉ॰ सविता आंबेडकर
संबंधआंबेडकर परिवार देखें
बच्चेयशवंत आंबेडकर
निवास• राजगृह, मुंबई
• २६ अलिपूर रोड, डॉ॰ आंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक, दिल्ली
शैक्षिक सम्बद्धता• मुंबई विश्वविद्यालय (बी॰ए॰)
• कोलंबिया विश्वविद्यालय (एम॰ए॰, पीएच॰डी॰, एलएल॰डी॰)
• लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स (एमएस॰सी॰, डीएस॰सी॰)
• ग्रेज इन (बैरिस्टर-एट-लॉ)
व्यवसायवकील, प्रोफेसर व राजनीतिज्ञ
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डॉ. भीमराव अंबेडकर: जीवन और कार्य Dr. Bhimrao Ambedkar: Life and Work

डॉ. भीमराव अंबेडकर, जिन्हें बाबा साहेब के नाम से भी जाना जाता है, एक अद्भुत सोच और साहस के मालिक थे। उन्होंने अपने जीवन को दलित समुदाय की सोशल और आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए समर्पित किया। उन्होंने जाति व्यवस्था, छुआछूत और जातिवाद के खिलाफ संघर्ष किया और समाज में समानता और न्याय की ओर अपनी कदम बढ़ाया।

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बाबा साहेब का प्रारंभिक जीवन Early Life :

बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू गांव में हुआ था। उनका बचपन एक ऐसे समय में बीता, जब आर्थिक और सामाजिक भेदभाव बड़े तेजी से फैला हुआ था। छोटे से गांव के बच्चे के रूप में, उन्हें स्कूल में छुआछूत और जाति-पाति का भेदभाव झेलना पड़ा।

हालांकि उन्हें विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ा, लेकिन बाबा साहेब ने अपने सपनों को पूरा करने का निर्णय किया। उन्होंने अपनी शिक्षा को पूरा किया और काबिलियत और मेहनत के बल पर 32 डिग्री हासिल की, जिसमें उन्हें डॉक्टरेट की डिग्री भी मिली।

बाबा साहेब ने सिर्फ अपने शिक्षा के क्षेत्र में ही काम करने का निर्णय नहीं लिया, बल्कि उन्होंने छुआछूत और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ संघर्ष करने का संकल्प भी लिया। उन्होंने दलित समुदाय के उत्थान के लिए संघर्ष किया और समाज में समानता और न्याय की ओर अपनी कदम बढ़ाया।

बाद में, उन्होंने भारतीय संविधान सभा के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया, जिससे उन्होंने भारतीय संविधान को निर्मित किया। उन्होंने अपने जीवन में समाज के बदलाव की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया और उन्होंने छुआछूत और जाति-पाति के खिलाफ एक महान संघर्ष का हिस्सा बनकर भारतीय समाज को एक नई दिशा में ले जाने में मदद की।

बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर हमारे लिए एक महान प्रेरणा स्रोत हैं, और उनके अनमोल विचार हमें समाज में समानता, न्याय, और बंधुत्व के महत्व को समझाते हैं। उनका जीवन एक महत्वपूर्ण संदेश देता है कि कठिनाइयों का सामना करके भी, एक व्यक्ति अपने सपनों को पूरा कर सकता है और समाज में सुधार ला सकता है।

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बौद्ध धर्म को अपनाना Adopting Buddhism:

हिंदू धर्म के त्याग के बाद, डॉ. अंबेडकर ने बौद्ध धर्म का अपनाया। इसके पीछे उनका मुख्य कारण था उनका विश्वास कि बौद्ध धर्म उनके मूल्यों और आदर्शों को प्रकट करता है। उनका मानना था कि धर्म किसी व्यक्ति के लिए नहीं होता, बल्कि व्यक्ति किसी धर्म के लिए होता है। उन्होंने बौद्ध धर्म को चुना, क्योंकि वह विकास, समानता और बंधुत्व के सिद्धांतों को सिखाता था।

महापरिनिर्वाण दिवस का महत्व The significance of Mahaparinirvana Day.

बौद्ध धर्म का पालन करते समय, बाबा साहेब अंबेडकर ने महापरिनिर्वाण दिवस का महत्व समझाया। इस दिन को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसमें उनके जीवन और उनके दिए गए संदेशों को याद किया जाता है। इस दिन पर, लोग बाबा साहेब की प्रतिमा पर फूल-मालाएं चढ़ाकर और मोमबत्तियां जलाकर उनको श्रद्धांजलि देते हैं। बौद्ध अनुयायी और भिक्षु इस दिन गीत गाकर बाबा साहेब के संदेशों को याद करते हैं और उनके आदर्शों का पालन करने का संकल्प लेते हैं।

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महापरिनिर्वाण का अर्थ: आत्मा का मोक्ष

महापरिनिर्वाण का अर्थ होता है ‘मृत्यु पश्चात निर्वाण’, यानी मौत के बाद का निर्वाण। यह बौद्ध धर्म का महत्वपूर्ण सिद्धांत है, जिसमें व्यक्ति अपने जीवन के अध्यात्मिक उन्नति के लिए समर्पित होता है। इसके लिए वह सांसारिक मोह, माया, इच्छा, और जीवन की पीड़ा से मुक्त होता है और जीवन चक्र से मुक्त हो जाता है। निर्वाण हासिल करने के लिए सदाचारी और धर्मसम्मत जीवन जीना पड़ता है।

इसी तरह, डॉ. भीमराव अंबेडकर ने अपने जीवन में बौद्ध धर्म को अपनाया और महापरिनिर्वाण दिवस को एक महत्वपूर्ण समारोह बना दिया। उनके संदेशों और आदर्शों को याद करते हुए, हमें उनकी पुण्यतिथि पर उनके योगदान का सम्मान करना चाहिए और उनके सपनों को पुरा करने का संकल्प लेना चाहिए।

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डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर के जीवन से जुड़ी खास बातें Special Facts Related to Dr. B.R. Ambedkar’s Life

  1. नाम का परिवर्तन: अम्बेडकर के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ था उनके नाम का परिवर्तन। उन्होंने अपने माता-पिता के नाम “भीमाबाई सकपाल” और “रामजी सकपाल” के बजाय “भीमराव अम्बेडकर” रख लिया, जिससे उन्होंने जातिगत भेदभाव के खिलाफ एक प्रतीकात्मक कदम उठाया।
  2. विद्वान और वकील: अम्बेडकर एक महान विद्वान और वकील थे। उन्होंने अपने शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया और बैरिस्टर के रूप में उच्च न्यायिक कार्य किया।
  3. बौद्ध धर्म का परिवर्तन: उनका धर्मांतरण भारत में जातिगत असमानता के खिलाफ एक महत्वपूर्ण संकेत था। उन्होंने अपने जीवन को बौद्ध धर्म में परिवर्तित किया और भारतीय समाज में बौद्ध धर्म का प्रचार किया।
  4. संविधान सभा के अध्यक्ष: अम्बेडकर ने भारतीय संविधान सभा के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया, जिससे उन्होंने भारतीय संविधान को निर्मित किया, जो भारतीय संविधान द्वारा न्याय, समानता, और अधिकार की रक्षा करता है।
  5. बौद्ध महासभा की स्थापना: डॉ. अंबेडकर ने भारतीय बौद्ध महासभा की स्थापना की, जो उनके बौद्ध धर्म के प्रचार और समर्थन का कार्य करती है।
  6. उपनाम सकपाल से अम्बेडकर में परिवर्तन: उन्होंने अपने जीवन में नाम के परिवर्तन के साथ ही जातिगत भेदभाव के खिलाफ उत्तेजना पैदा की और समाज में समानता और न्याय की ओर अपनी कदम बढ़ाया।
  7. बुद्धिजीवन: अम्बेडकर ने अपने जीवन में बुद्धिजीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया और बौद्ध धर्म को अपनाया। उन्होंने बुद्ध और उनके धर्म के महत्व को जनमानस के सामने रखा और उनके विचारों का प्रचार किया।
  8. संविधान के प्रस्तावक: उन्होंने भारतीय संविधान को तैयार करने का महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उन्होंने संविधान के माध्यम से जनमानस को न्याय और समानता की बजाय दिलाई।

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मृत्यु Death


यशवंत भीमराव अंबेडकर का आंतरिक शांति स्थल “चैत्य भूमि” है। उनकी मृत्यु 17 सितंबर 1977 को हुई। उनके अंतिम संस्कार को दरम्यान बौद्ध तरीके से मुंबई के दादर समशानग्रह में किया गया, जो चैत्यभूमि स्तूप के पास स्थित है। उनके अंतिम संस्कार के दौरान एक मिलियन से अधिक लोग उपस्थित थे।

डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर का परिवार The family of Dr. Bhimrao Ramji Ambedkar;

डॉ. भीमराव अंबेडकर भारतीय समाज के साथ अपने समाज की समाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सुधार में गहरा असर डालने वाले थे। वे भारतीय संविधान के महत्वपूर्ण निर्माता थे और उन्होंने दलितों के अधिकारों की रक्षा की।

  1. रमाबाई आंबेडकर (बाबा साहब की पहली पत्नी) : डॉ. अंबेडकर की पहली पत्नी रमाबाई आंबेडकर थी, और उनके साथ उनके बड़े बेटे यशवंत अंबेडकर थे। उनकी शादी डॉ. अंबेडकर की उम्र 15 साल में हुई थी, और वे लंबे समय तक बीमार रहीं।
  2. सविता आंबेडकर (बाबा साहब की दूसरी पत्नी): डॉ. अंबेडकर की दूसरी पत्नी सविता आंबेडकर थी, और उन्होंने भारतीय समाज में उनके साथ एक जीवन संगी के रूप में उनका समर्थन किया। वे डॉ. अंबेडकर की सेकंड वाइफ होने के बावजूद उनके सामाजिक और राजनीतिक कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  3. यशवंत आंबेडकर (बाबा साहब के बेटे): डॉ. अंबेडकर के बड़े बेटे यशवंत आंबेडकर ने उनकी आदर्शों का पालन करते हुए सामाजिक और राजनीतिक कार्य में अपने पिता का आदर्श बचाया। वे एक महत्वपूर्ण दलित आंदोलन के समर्थन में भी लगे रहे और महाराष्ट्र की राजनीति में अपना योगदान दिया।
  4. प्रकाश आंबेडकर (बाबा साहब के पोते): डॉ. अंबेडकर के पोते प्रकाश आंबेडकर भारतीय समाज में उनके द्वारा शुरू किए गए अंबेडकवादी आंदोलन को मजबूत किया और उनके विचारों को आगे बढ़ाया। वे भारिप बहुजन महासंघ के संस्थापक हैं और भारतीय राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाते हैं।
  5. आनंदराज आंबेडकर(बाबा साहब के परपोते): डॉ. अंबेडकर के परपोते आनंदराज आंबेडकर भी डॉ. अंबेडकर के विचारों और आदर्शों का पालन करते हैं। वे राजनीति में सक्रिय हैं और दलितों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए काम करते हैं।
  6. रमा आनंद(बाबा साहब की पोती): डॉ. अंबेडकर की पोती रमा आनंद गोवा इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में प्रोफेसर हैं और पत्रकारिता के क्षेत्र में भी काम करती हैं।
  7. सुजत आंबेडकर(बाबा साहब की चौथी पीढ़ी): डॉ. अंबेडकर की चौथी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व सुजत आंबेडकर कर रहे हैं। वे सामाजिक कार्यकर्ता हैं और दलितों और वंचितों के लिए कई कार्यक्रम और जनसभाएं आयोजित करते हैं।

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इन जानकारियों के माध्यम से डॉ. भीमराव अंबेडकर के परिवार के सदस्य उनके आदर्शों और कार्यों को जारी रखकर समाज में उनकी विचारधारा को बढ़ावा देते हैं और उनके उपास्य आदर्शों का पालन करते हैं।

बाबा साहब के जीवन पर लिखी गई किताबे Books on Ambedkar

  1. “सूर्यपुत्र यशवंतराव अंबेडकर” (Suryaputra Yashwantrao Ambedkar) — Author: Phulchandra Khobragade; Publisher: Sanket Prakashan, Nagpur, 2014
  2. “लोकनेते भैयासाहेब अंबेडकर” (Loknete Bhaiyasaheb Ambedkar) — Author: Prakash Janjal; Publisher: Ramai Prakashan, 2019
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Q. डॉ. भीमराव आंबेडकर का जन्म कब हुआ था?

A. उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को हुआ था।

Q. डॉ. भीमराव आंबेडकर का जन्मस्थल कहाँ हुआ था?

A. उनका जन्म महू, मध्य प्रांत, ब्रिटिश भारत में हुआ था।

Q. डॉ. आंबेडकर की मृत्यु कब हुई और कहाँ हुई?

A. उनकी मृत्यु 6 दिसम्बर 1956 को हुई और मृत्यु स्थल डॉ. आंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक, नयी दिल्ली में हुई।

Q. डॉ. आंबेडकर के अन्य क्या नाम थे?

A. उनके अन्य नाम थे – भिवा, भीम, और बाबासाहब आंबेडकर।

Q. डॉ. आंबेडकर की शिक्षा संबंधित स्थल और उनकी उच्च शिक्षा की डिग्रियाँ क्या थीं?

A.उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से बी.ए. की डिग्री प्राप्त की थी, और फिर कोलंबिया विश्वविद्यालय से एम.ए., पीएच.डी., और एलएल.डी. की डिग्रियाँ प्राप्त की थीं। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से एमएस.सी. और डी.एस.सी. की डिग्री भी प्राप्त की थी।

Q. डॉ. भीमराव आंबेडकर के पुत्र का नाम क्या था

A. उनके पुत्र का नाम यशवंत आंबेडकर था.

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