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अयोध्या के राम मंदिर में कर्मकुटी पूजा एक धार्मिक अनुष्ठान है, जिसका प्रयोजन प्रायश्चित्त और शुद्धिकरण है। यह पूजा प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पूर्व की जाती है, ताकि मंदिर के स्थल को पवित्र और शक्तिशाली ऊर्जा से भरा जा सके। इस पूजा के माध्यम से, मंदिर और उसके परिसर को धार्मिक क्रियाओं के लिए उपयुक्त बनाया जाता है।
अयोध्या में राम मंदिर अनुष्ठान की धूम
अयोध्या में इन दिनों जयकारों और पूजा के मंत्रों की गूंज हर ओर सुनाई दे रही है। इसका कारण है 22 जनवरी 2024 को होने वाली रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा। इस उपलक्ष्य में 16 जनवरी से अनुष्ठानों का आरंभ हो चुका है। प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान के आरंभ में प्रायश्चित पूजा और कर्म कुटी पूजा का विधान है। इन दोनों पूजाओं के संपन्न होने के बाद ही अन्य अनुष्ठान आगे बढ़ेंगे। यजमान द्वारा पहले प्रायश्चित पूजा की जाएगी और फिर कर्म कुटी पूजा संपन्न की जाएगी। इस लेख में प्रायश्चित पूजा और कर्म कुटी पूजा के महत्व और प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व इनकी जरूरत को समझाया गया है।
प्रायश्चित पूजा का संक्षिप्त वर्णन
ज्योतिषाचार्य डॉ. गौरव दीक्षित के अनुसार, प्रायश्चित पूजा एक विशेष पूजा पद्धति है जिसमें शारीरिक, मानसिक और बाह्य तीनों स्तरों पर प्रायश्चित किया जाता है। इस प्रक्रिया में यजमान को 10 विशेष विधियों से स्नान कराया जाता है, जिसमें पंच द्रव्य और अन्य सामग्री का उपयोग होता है। प्रायश्चित पूजा में गो दान, भू दान, द्रव्य दान या स्वर्ण दान जैसे संकल्प भी शामिल होते हैं।
प्राण प्रतिष्ठा से पहले प्रायश्चित पूजा का महत्व
डॉ. गौरव दीक्षित का कहना है कि प्रायश्चित पूजा का उद्देश्य हमारी अनजाने में हुई त्रुटियों के लिए पश्चाताप करना है। मंदिर और मूर्ति के निर्माण में छेनी, हथौड़ी आदि का उपयोग होता है, जिस दौरान अनजाने में कुछ त्रुटियां हो सकती हैं। इसलिए इन गलतियों के लिए शुद्धिकरण करना आवश्यक होता है। इसी कारण प्राण प्रतिष्ठा से पहले प्रायश्चित पूजा की जाती है ताकि सभी त्रुटियों का शुद्धिकरण हो सके।
प्रायश्चित पूजा के अधिकारी कौन हैं?
सनातन धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पहले अनुष्ठान का विशेष महत्व होता है, जैसा कि ज्योतिषाचार्यों द्वारा बताया गया है। प्रायश्चित पूजा, विशेष रूप से, यजमान द्वारा की जाती है और इसका उद्देश्य अनजाने में किए गए पापों का प्रायश्चित करना होता है। यह कर्म यजमान का होता है, और सामान्यत: पंडित द्वारा इसे नहीं किया जाता है। इस पूजा का आयोजन इस विचार के साथ होता है कि यजमान द्वारा जाने-अनजाने में किए गए पापों का शुद्धिकरण हो।
कर्म कुटी पूजा का विवरण
डॉ. गौरव दीक्षित के अनुसार, कर्म कुटी पूजा, जिसे यज्ञशाला पूजन भी कहा जाता है, वह पूजा प्रक्रिया है जिसमें यज्ञ करने से पहले हवन कुंड या बेदी की पूजा की जाती है। इसमें विशेष रूप से भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। इस पूजा को करने के बाद ही भगवान विष्णु मंदिर में प्रवेश करने का आदेश देते हैं, जिसके बाद प्राण प्रतिष्ठा संस्कार के लिए मंदिर में प्रवेश किया जाता है। हर क्षेत्र के लिए विशेष पूजन की प्रक्रिया निर्धारित होती है।
FAQ
1. क्या है प्राण प्रतिष्ठा?
A- “प्राण प्रतिष्ठा एक धार्मिक संस्कार है जिसमें मूर्ति में दिव्यता का प्रवेश कराया जाता है।”
2. प्रायश्चित पूजा का उद्देश्य क्या है?
A- “प्रायश्चित पूजा का उद्देश्य अनजाने में हुई गलतियों का पश्चाताप करना है।”
3. कर्म कुटी पूजा क्या है?
A- “कर्म कुटी पूजा यज्ञशाला में हवन कुंड या बेदी की पूजा है।”
4. अयोध्या राम मंदिर का महत्व क्या है?
A- “अयोध्या राम मंदिर हिंदू धर्म का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।”
5. भगवान राम का अयोध्या में क्या महत्व है?
A- “अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि है, जो उनके जीवन और शिक्षाओं का केंद्रीय स्थान माना जाता है।”